इस्लाम
Found 3 Posts
मुस्लिम उम्मत - पहचान और विशेषताएं
संसार के रचयिता ईश्वर की मंशा है कि समस्त मानवजाति संतुलन का मार्ग अपना ले। हर कोई उसके बताए हुए तरीक़े पर जीवन बिताए और सांसारिक संसाधनों का पूरा आनंद ले। कोई किसी पर अत्याचार न करे, कोई किसी का अधिकार हनन न करे। इस तरह संसार सुख शांति का केंद्र बन जाए। परलोक में भी मनुष्य को इसका अच्छा बदला मिले और वह शाश्वत सुख के स्वर्ग में जगह पाए। इस लिए ईश्वर ने आरंभ से ही मनुष्य के मार्गदर्शन के लिए अपने पैग़म्बरों को खड़ा किया। फिर एक समय पर उसने अपनी तत्वदर्शिता से पैग़म्बरों का सिलसिला बंद कर दिया और यह ज़िम्मेदारी अंतिम पैग़म्बर के अनुयायियों पर डाल दी कि वे रहती दुनिया तक मनुष्यों का उसके बताए हुए तरीक़े पर मार्गदर्शन करते रहें।
इस्लाम धर्म
‘इस्लाम’, अरबी वर्णमाला के मूल अक्षर स, ल, म, से बना शब्द है। इन अक्षरों से बनने वाले शब्दों के अर्थ होते हैं: शांति, सद्भाव और आत्मसमर्पण। इस्लामी परिभाषा में इस्लाम का अर्थ होता है: ईश्वर के आदेश-निर्देश और उसकी मर्ज़ी के सामने पूर्ण आत्मसमर्पण करके सम्पूर्ण व शाश्वत शान्ति प्राप्त करना। यहां शांति अपने वृहद अर्थ में है, यानी अपने व्यक्तित्व व अन्तरात्मा के प्रति शान्ति, दूसरे तमाम इन्सानों के प्रति शान्ति, अन्य जीवधारियों के प्रति शान्ति, ईश्वर की विशाल सृष्टि के प्रति शान्ति, ईश्वर के प्रति शान्ति, इस जीवन के बाद परलोक-जीवन में शान्ति।
अहिंसा और इस्लाम
इस्लाम मनुष्य को शांति और सहिष्णुता का मार्ग दिखाता है। यह सत्य, अहिंसा, कुशलता का समर्थक है । इसका संदेश वास्तव में शांति का संदेश है। इसका लक्ष्य शांति, सुधार और निर्माण है । वह न तो उपद्रव और बिगाड़ को पसन्द करता है और न ही ज़ुल्म-ज़्यादती, क्रूरता, अन्याय, अनाचार, अत्याचार, असहिष्णुता, पक्षपात और संकीर्णता आदि विकारों व बुराइयों का समर्थक है। ईशदूत हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) ने कहा कि जो व्यक्ति भी इस्लाम में आया, सलामत रहा ।