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फ़िक़्ह

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मोज़े पर मसह
मोज़े पर मसह
21 March 2020
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मोज़ा चमड़े या कपड़े से बनाए गए वस्त्र को कहते हैं जो पांव के साथ टखने को छुपाए। सर्दी के दिनों में या सफ़र के दौरान नमाज़ के लिए वुज़ू करते समय मोज़े को उतार कर दोनों पांवों को धोना और फिर उन्हें सुखाकर दोबारा मोज़े पहनना कई बार बहुत कठिन होता है, इस लिए अल्लाह की ओर से यह छूट दी गई है कि ऐसी हालत में मोज़े पर मसह किया जा सकता है। मसह का तरीक़ा यह है कि हाथ की उंगलियों को पानी से गीला करके मोज़ों पर फेर लिया जाए। पुरूष तथा महिला के लिए मोज़े पर मसह करना जाइज़ है। चाहे गर्मी का समय हो या जाड़े का, चाहे व्यक्ति सफ़र में हो या अपने घर में, चाहे वह रोगी हो या स्वस्थ।

नमाज़  का आसान तरीक़ा
नमाज़ का आसान तरीक़ा
21 March 2020
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हमारे यहां जिसे नमाज़ कहा जाता है,वह अरबी के शब्द ‘सलात’ का फ़ारसी अनुवाद है। सलात का अर्थ है दुआ। नमाज़ इस्लाम का दूसरा स्तंभ है। मुसलमान होने का पहला क़दम शहादत (गवाही) का ऐलान करना है। यानी यह ऐलान कि मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के बन्दे और रसूल हैं। हर बालिग़ मुसलमान पर प्रति दिन पाँच वक़्त की नमाज़ें अदा करना फ़र्ज़ (अनिवार्य) है। हर नमाज़ को उस के निर्धारित समय पर अदा करना ज़रूरी है।साथ ही मर्दों के लिए ज़रूरी है कि वे प्रति दिन पाँच नमाज़ें मस्जिद में जमाअत के साथ अर्थात सामूहिक रूप से अदा करें। नमाज़ अदा करना इस्लामी आस्था का अनिवार्य हिस्सा है । हर नमाज़ में पढ़ी जाने वाली रकअत की संख्या निर्धारित है। हर नमाज़ के लिए रकअत की सही संख्या को समझना ज़रूरी है ताकि कोई अपनी नमाज़ सही तरीक़े से अदा कर सके। नमाज़ की तैयारी के लिए सही तरीक़े से वुज़ू करना चाहिए और साफ़ और शांत जगह का चुनाव करना चाहिए। हर नमाज़ में क़ुरआन की कुछ आयतें पढ़नी ज़रूरी हैं। नमाज़ एक शारीरिक इबादत है जिसमें खड़े होना, झुकना, बैठना और सजदा करना शामिल है, हर हालत में अलग अलग दुआएं पढ़ी जाती हैं।बालिग़ होने से पहले नमाज़ की पूरी तरकीब सीख लेनी ज़रूरी है।

वुज़ू कैसे करें ?
वुज़ू कैसे करें ?
15 March 2020
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नमाज़ सबसे महान इबादत है। नमाज़ के माध्यम से, एक व्यक्ति खुद को अपने स्रष्टा और स्वामी के सामने हाज़िर होता है। अल्लाह के सामने हाज़िर होने के लिए कुछ प्रोटोकॉल हैं। वुज़ू सबसे महत्वपूर्ण प्रोटोकॉल है। यह अपने दिल, दिमाग़ और शरीर को शुद्ध, पवित्र और एकाग्र करने का इस्लामी तरीका है। क़ुरआन में स्वयं अल्लाह ने नमाजड के लिए वुज़ू करने का आदेश दिया है :