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मुहम्मद (स॰)

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आख़िरी पैग़म्बर
आख़िरी पैग़म्बर
14 April 2020
Views: 347

बात हज़रत मुहम्मद (सल्लo) की है। हज़रत मुहम्मद जिन्हें दुनिया भर के मुसलमान ईश्वर का आख़िरी पैग़म्बर मानते हैं। दूसरे लोग उन्हें सिर्फ़ मुसलमानों का पैग़म्बर समझते हैं। क़ुरआन से और स्वयं हज़रत मुहम्मद (सल्लo) की बातों से यही पता चलता है कि वे सारे संसार के लिए भेजे गये थे। उनका जन्म अरब देश के नगर मक्का में हुआ था, उनकी बातें सर्व-प्रथम अरबों ने सुनीं परन्तु वे बातें केवल अरबों के लिए नहीं थीं। उनकी शिक्षा तो समस्त मानव-जाति के लिए है। उनका जन्म 571 ई0 में हुआ था, अब तक लगभग 1450 वर्ष बीत गये पर उनकी शिक्षा सुरक्षित है। पूरी मौजूद है। हमारी धरती का कोई भू-भाग भी मुहम्मद (सल्लo) के मानने वालों से ख़ाली नहीं है।

हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) सबके लिए
हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) सबके लिए
30 March 2020
Views: 232

सार्वभौमिकता के परिप्रेक्ष्य में, हजरत मुहम्मद (सल्ल.) के, भारतवासियों का भी पैगम्बर होने की धारणा तकाजा करती हैं कि आप (सल्ल.) के समकालीन भारत पर एक संक्षिप्त दृष्टि अवश्य डाली जाए, और चूंकि आप की पैग़म्बरी का ध्येय एवं आप (सल्ल.) के ईशदूतत्व का लक्ष्य मानव-व्यक्तित्व, मानव-समाज के आध्यात्मिक व सांसारिक हर क्षेत्र में सुधार, परिवर्तन, निखार व क्रान्ति लाना था, इसलिए यह दृष्टि भारतीय समाज के राजनैतिक, सामाजिक व धार्मिक सभी पहलुओं पर डाली जाए।

मानवता उपकारक हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)
मानवता उपकारक हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)
30 March 2020
Views: 221

अरब के लोग बेटियों की हत्या कर देते थे। भारत में भी यही प्रथा थी। क़ुरआन ने लोगों को इस दुष्कर्म से मना किया। महा ईशदूत ने बेटियों से स्नेह की शिक्षा ही नहीं दी, बल्कि स्नेह के साथ सम्मान का आदर्श भी उपस्थित किया। बेटियों को पाल-पोसकर विवाह करने का फल जन्नत में अपने निकट स्थान, बताया। स्त्रियों को बहुत सम्मानित किया। माता की सेवा का फल भी जन्नत और बेटी से स्नेह और लालन-पालन का फल भी जन्नत बताया गया। बहन को भी बेटी के बराबर ठहराया गया। पत्नी को दाम्पत्य जीवन, घराने व समाज में आदरणीय, पवित्र, सुखमय व सुरक्षित स्थान प्रदान किया गया।

हज़रत मुहम्मद का संदेश
हज़रत मुहम्मद का संदेश
30 March 2020
Views: 224

(यह मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी (रहमतुल्लाह अलैह) का वह भाषण है, जो 22 अक्तूबर सन् 75 ई. को पंजाब यूनिवर्सिटी के नए कैम्पस में दिया गया था।) अल्लाह के रसूल हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम) एक फ़ौजी जनरल भी थे, और आपके नेतृत्व में जितनी लड़ाइयां हुईं, उन सबका विस्तृत विवेचन हमें मिलता है। आप एक शासक भी थे और आप के शासन के तमाम हालात हमें मिलते हैं। आप एक जज भी थे और आप के सामने पेश होने वाले मुक़दमों की पूरी-पूरी रिपोर्ट हमें मिलती है और यह भी मालूम होता है कि किस मुक़दमे में आप ने क्या फ़ैसला फ़रमाया। आप बाज़ारों में भी निकलते थे और देखते थे कि लोग क्रय-विक्रय के मामले किस तरह करते हैं। जिस काम को ग़लत होते हुए देखते उस से मना फ़रमाते थे और जो काम सही होते देखते, उसकी पुष्टि करते थे। तात्पर्य यह कि जीवन का कोई विभाग ऐसा नहीं है, जिसके बारे में आप ने सविस्तार आदेश न दिया हो।

मुहम्मद (सल्ल॰) के जीवन-आचरण का सन्देश
मुहम्मद (सल्ल॰) के जीवन-आचरण का सन्देश
14 March 2020
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प्रस्तुत विषय पर अगर तार्किक क्रम के साथ लिखा जाए, तो सबसे पहले हमारे सामने यह सवाल आता है कि एक नबी के जीवन-आचरण का ही सन्देश क्यों? किसी और का सन्देश क्यों नहीं? दूसरे नबियों में से भी सिर्फ़ हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) के जीवन-आचरण का सन्देश, दूसरे नबियों और धार्मिक नेताओं के जीवन-आचरण का सन्देश क्यों नहीं? इस प्रश्न पर शुरू ही में विचार करना इसलिए ज़रूरी है कि हमारा मन इस बात पर पूरी तरह संतुष्ट हो जाए कि वास्तव में हम पुराने और नए, हर ज़माने के किसी नेता के जीवन-आचरण से नहीं, बल्कि एक नबी के जीवन आचरण से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं और किसी दूसरे नबी या धार्मिक गुरु के जीवन में नहीं, बल्कि मुहम्मद (सल्ल॰) के जीवन में ही हम को वह सही और पूर्ण मार्गदर्शन मिल सकता है, जिसके हम सच में मुहताज हैं।

मुहम्मद (सल्ल॰): विश्व नेता
मुहम्मद (सल्ल॰): विश्व नेता
13 March 2020
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आप हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) के जीवन का अध्ययन करें तो एक ही दृष्टि में महसूस कर लेंगे कि यह किसी राष्ट्रवादी या देश-प्रेमी का जीवन नहीं है, बल्कि एक मानव-प्रेमी और विश्वव्यापी दृष्टिकोण रखने वाले मनुष्य का जीवन है। और यह कि उसके सिद्धांत भी किसी समय विशेष के लिए नहीं थे, बल्कि रहती दुनिया तक के लिए अनुकरणीय हैं। मुहम्मद (सल्ल॰) ने जो सिद्धांत पेश किए उनके आधार पर एक समाज का निर्माण कर के भी दिखाया।

मुहम्मद (सल्ल॰): जीवन, चरित्र, सन्देश, क्रान्ति
मुहम्मद (सल्ल॰): जीवन, चरित्र, सन्देश, क्रान्ति
13 March 2020
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इस्लाम के पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰), अत्यंत लम्बी ईशदूत-श्रृंखला में एकमात्र ईशदूत हैं जिनका पूरा जीवन इतिहास की पूरी रोशनी में बीता। इस पहलू से भी आप उत्कृष्ट हैं कि आपकी पूरी ज़िन्दगी का विवरण, विस्तार के साथ शुद्ध, विश्वसनीय व प्रामाणिक रूप से इतिहास के पन्नों पर सुरक्षित है। जन्म से देहावसान तक, एक-एक बात का ब्यौरा; छोटी से बड़ी हर गतिविधि, हर कथनी-करनी और पूरा जीवन-वृत्तांत रिकार्ड पर है। संसार में कोई भी व्यक्ति, जो आपकी जीवनी, आपका जीवन-चरित्र, आपका संदेश और मिशन जानना चाहे तथा आप द्वारा लाई हुई अद्भुत, अद्वितीय, समग्र व सम्पूर्ण क्रान्ति का अध्ययन करना चाहे, और यह समझना चाहे कि 1400 से अधिक वर्षों से अरबों-खरबों लोग, एवं आज लगभग डेढ़ अरब (एक सौ पचास करोड़) लोग दुनिया भर में आप से सबसे ज़्यादा (अपने माता-पिता, संतान व परिजनों से भी ज़्यादा) प्रेम क्यों करते हैं, आप पर जान निछावर क्यों करते हैं; आपकी श्रद्धा से उनका सारा व्यक्तित्व ओत-प्रोत क्यों रहता है और आपके अनादर व मानहानि की छोटी-बड़ी किसी भी घटना पर अत्यंत व्याकुल और दुखी क्यों हो जाते हैं; और आख़िर क्या बात है कि डेढ़ हज़ार वर्ष के अतीत में, और वर्तमान युग में भी, ऐसे असंख्य लोग रहे हैं जो आपके ईशदूत्व पर ईमान न रखने (अर्थात् मुस्लिम समुदाय में न होने) के बावजूद आपकी महानता के स्वीकारी रहे तथा आपके प्रति श्रद्धा, सम्मान की भावना रखते आए हैं; आख़िर क्या बात है कि एक पाश्चात्य मसीही शोधकर्ता (माइकल हार्ट) पिछली लगभग 2-3 शताब्दियों के मानव-इतिहास से चुने हुए 100 महान व्यक्तियों में से, महात्म्य की कसौटी पर परखते हुए हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) को प्रथम स्थान देता है; तो यह जानने के लिए उस व्यक्ति को विश्व के हर भाग में, संसार की लगभग तमाम प्रमुख भाषाओं में (और हमारे देश की सारी क्षेत्रीय भाषाओं में भी लिखित-प्रकाशित) सामग्री उपलब्ध है। (सल्ल॰=‘सल्ल-अल्लाहु अलैहि व सल्लम'-अर्थात-‘आप पर ईश्वर की अनुकंपा व सलामती हो'।)

मुहम्मद (सल्ल॰) की शिक्षाओं के प्रभाव
मुहम्मद (सल्ल॰) की शिक्षाओं के प्रभाव
13 March 2020
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हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) की शिक्षाओं के प्रभाव असीम और अनंत हैं, जो मानव व्यवहार, मानव स्वभाव, मानव-चरित्र, मानव समाज और मानव सभ्यता-संस्कृति पर पड़े। ये प्रभाव सार्वभौमिक और सार्वकालिक हैं। जैसे-जैसे दुनिया विकास और सभ्यता की भंचाइयां तय करती जा रही है, हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) की शिक्षाओं के प्रभाव बढ़ते जा रहे हैं।

मुहम्मद (सल्ल॰) : महानतम क्षमादाता
मुहम्मद (सल्ल॰) : महानतम क्षमादाता
13 March 2020
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मुहम्मद (सल्ल.) के आने से पहले अरब के लोग अपनी बरबर्ता और पाश्विक प्रवृत्ति के लिए जाने जाते थे। छोटी-छोटी बात पर अरब क़बीलों में युद्ध छिड़ जाता, जो दशकों तक चलता रहता। दोनों पक्ष के हज़ारों लोग मारे जाते, लेकिन उनकी ख़ून की प्यास नहीं बुझती। ऐसी उग्र क्रोधातुर और लड़ाकू क़ौम को इस्लाम के पैग़म्बर ने आत्मसंयम एवं अनुशासन की ऐसी शिक्षा दी, ऐसा प्रशिक्षण दिया कि वे दया करुणा और प्रेम का आदर्श बन गए। दूसरों के प्रति त्याग, क्षमादान, आदर, प्रेम, सहिष्णुता और उदारता के गुणों से उनके चरित्र व व्यवहार में निखार आ गया। यह सब इस लिए हुआ कि अल्लाह ने मुहम्मद (सल्ल.) को समस्त जगत के लिए रहमत बनाकर भेजा था।