Hindi Islam
Hindi Islam
×

Type to start your search

بِأَنَّ رَبَّكَ أَوۡحَىٰ لَهَا

99. अज़-ज़िलज़ाल

(मदीना में उतरी, आयतें 8)

परिचय

नाम

पहली आयत के शब्द 'ज़िलज़ालहा' (पूरी तीव्रता के साथ हिला डालना) से लिया गया है।

उतरने का समय

इसके मक्की या मदनी होने में मतभेद है, लेकिन क़ुरआन को समझकर पढ़नेवाला हर व्यक्ति यही महसूस करेगा कि यह मक्की सूरा है, बल्कि इसके विषय और वार्ताशैली से तो उसको यह महसूस होगा कि यह मक्का के भी उस आरंभिक काल में उतरी होगी जब अति संक्षिप्त और अत्यन्त हृदयस्पर्शी ढंग से इस्लाम की मौलिक धारणाएँ और अक़ीदे लोगों के सामने प्रस्तुत किए जा रहे थे।

विषय और वार्ता

इसका विषय है मौत के बाद दूसरा जीवन और उसमें उन सब कर्मों का पूरा कच्चा-चिट्ठा इंसान के सामने आ जाना जो उसने दुनिया में किए थे। सबसे पहले तीन संक्षिप्त वाक्यों में यह बताया गया है कि मौत के बाद दूसरा जीवन किस तरह वुजूद में आएगा और वह इंसान के लिए कितना आश्चर्यजनक होगा। फिर दो वाक्यों में बताया गया है कि यही ज़मीन जिसपर रहकर इंसान ने निश्चिंत होकर हर प्रकार के कर्म किए हैं, उस दिन अल्लाह के आदेश से बोल पड़ेगी और एक-एक व्यक्ति के बारे में यह बयान कर देगी कि किस वक़्त और कहाँ उसने क्या काम किया था। इसके बाद कहा गया है कि उस दिन ज़मीन के कोने-कोने से इंसान जत्थे-के-जत्थे अपनी क़ब्रों से निकल-निकलकर आएँगे, ताकि उनके कर्म उनको दिखाए जाएँ, और कर्मों की यह प्रस्तुति ऐसी पूर्ण और व्यापक होगी कि कोई कण भर नेकी या बदी भी ऐसी न रह जाएगी जो सामने न आ जाए।

--------------------

بِأَنَّ رَبَّكَ أَوۡحَىٰ لَهَا ۝ 1
(5) क्योंकि तेरे रब ने उसे (ऐसा करने का) हुक्म दिया होगा।
سُورَةُ الزَّلۡزَلَةِ
99. अज़-ज़िलज़ाल
يَوۡمَئِذٖ يَصۡدُرُ ٱلنَّاسُ أَشۡتَاتٗا لِّيُرَوۡاْ أَعۡمَٰلَهُمۡ ۝ 2
(6) उस रोज़ लोग मुतफ़र्रिक़ हालत में पलटेंगे ताकि उनके आमाल उनको दिखाए जाएँ।
بِسۡمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحۡمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ
अल्लाह के नाम से जो बेइन्तिहा मेहरबान और रहम फ़रमानेवाला है।
فَمَن يَعۡمَلۡ مِثۡقَالَ ذَرَّةٍ خَيۡرٗا يَرَهُۥ ۝ 3
(7) फिर जिसने ज़र्रा-बराबर नेकी की होगी वह उसको देख लेगा
إِذَا زُلۡزِلَتِ ٱلۡأَرۡضُ زِلۡزَالَهَا
(1) जब ज़मीन अपनी पूरी शिद्दत के साथ हिला डाली जाएगी,
وَمَن يَعۡمَلۡ مِثۡقَالَ ذَرَّةٖ شَرّٗا يَرَهُۥ ۝ 4
(8) और जिसने ज़र्रा-बराबर बदी की होगी वह उसको देख लेगा।
وَأَخۡرَجَتِ ٱلۡأَرۡضُ أَثۡقَالَهَا ۝ 5
(2) और ज़मीन अपने अन्दर के सारे बोझ निकालकर बाहर डाल देगी,
وَقَالَ ٱلۡإِنسَٰنُ مَا لَهَا ۝ 6
(3) और इनसान कहेगा कि यह इसको क्या हो रहा है?
يَوۡمَئِذٖ تُحَدِّثُ أَخۡبَارَهَا ۝ 7
(4) उस दिन वह अपने (ऊपर बीते हुए) हालात बयान करेगी,